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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2796
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान : लोक प्रशासन

प्रश्न- आधुनिक राज्यों में लोक प्रशासन के विभिन्न रूपों को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर -

आधुनिक राज्यों में प्रशासन की बढ़ती गतिविधियों ने इसका महत्व एक शास्त्र और क्रिया दोनों रूपों में बढ़ाया है। प्रशासन का महत्व प्राचीन काल में भी था जब समाजीकरण की प्रक्रिया के एक अन्तर्निहित तत्व के रूप में प्रशासन की संस्थापना और विकास होता रहा। विकसित होते समाजों की एक अनिवार्य आवश्यकता सुव्यवस्थित प्रशासन और उसमें निरन्तर वृद्धि की होती है। यह वृद्धि एक सीमा तक आकार में भी होती है और उसकी कार्यक्षमता और कार्यप्रणाली में तो यह निरन्तर अपेक्षित रहती है। वर्तमान राज्यों में लोक प्रशासन के महत्व में गुणात्मक परिवर्तन लाने के पीछे जो सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारक तत्व हैं। वह राज्य की लोक कल्याणकारी भूमिका है। इस एक फैक्टर ने ही राज्य पर विभिन्न क्षेत्रों में अनेकों दायित्व डाल दिये हैं और इनकी पर्ति के लिए राज्य की निर्भरता प्रशासन पर ही है। लोक प्रशासन प्रत्येक राज्य का एक अनिवार्य लक्षण हैं चाहे वह पूँजीवादी हो, समाजवादी हो या अधिनायकवादी हो और इनमें से प्रत्येक में उसकी भूमिका अधिकाधिक महत्व की है। क्योंकि राज्य का दर्शन प्रत्येक प्रणाली में व्यक्तिवादी के स्थान पर सामुदायिक अहस्तक्षेप से हस्तक्षेपनीय और नियामक से जनहितकारी हो गया है। कुछ प्रणालियों में तो इन सकारात्मक प्रवृत्तियों पर अत्यधिक बल दिया जाता है। यदि आज भी समाज में सबसे अधिक कार्य दायित्वों के बोझ से लोक प्रशासन दबा हुआ है और प्रत्येक व्यक्ति या समुदाय को अपनी कतिपय आवश्यकता की पूर्ति का एकमात्र स्रोत या विकल्प यही नजर आता है। तो इसके पीछे राज्य की यह भावना है। जो सम्पूर्ण समाज को सुखी, निष्कंटक और शान्तिपूर्ण जीवन ज्ञापन देने का संकल्प उठाये हुये है।

1. लोक कल्याणकारी प्रशासन - राज्य लोक कल्याणकारी है। उसने अपने नागरिकों की सर्वांगीण उन्नति के लिए तथा उन्हें विस्तृत सुख-सुविधा प्रदान करने के लिए अपना विस्तार और हस्तक्षेप जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में कर लिया है। राज्य अपने इन दायित्वों की पूर्ति वैसी ही भावना से ग्रस्त प्रशासन के माध्यम से ही कर सकता है। अतः प्रशासन भी लोक कल्याणकारी है या उसे ऐसा होना चाहिए। उल्लेखनीय है कि पहले राज्य और उनका प्रशासन "पुलिस" स्वरूप का था जो जनकल्याण के स्थान पर राज्य पोषित अवधारणा से ग्रस्त था। उसके कार्य सीमित थे, जबकि अब जनकल्याणकर्ता के रूप में उसके कार्यों का दायरा असीमित और अपरिमित है। इन बढ़ते दायित्वों ने लोक प्रशासन के अध्ययन को सर्वाधिक महत्वपूर्ण बनाया है। वस्तुतः लोक कल्याणकारी अवधारणा के एक पहलू ने ही लोक प्रशासन के महत्व को जमीन से उठाकर आसमान पर बैठा दिया है।

2. प्रशासकीय राज्य की संकल्पना - लोक कल्याण की अवधारणा ने ही पुलिस राज्य को प्रशासकीय राज्य में बदला है। मनुष्य की देखभाल एक आया की भाँति करने के राज्य के उद्देश्य ने प्रशासन को समग्र जीवन की प्रत्येक गतिविधि अवस्था तक विस्तृत कर दिया है। गर्भस्थ शिशु की देखभाल (टीकाकरण अन्य स्वास्थ्य जाँच) से लेकर उसके सुरक्षित प्रसव, शिक्षा और रोजगार की व्यवस्था करने तक लोक प्रशासन पग-पग पर मानव की सेवा में लगा रहता है। फाइनर के अनुसार, वह झूले से लेकर कब्र तक मानव के साथ है। मानव की निर्भरता अपने प्रशासन पर निरन्तर बढ़ती जा रही है। प्रशासन पर दबाब भी उसी अनुपात में बड़ रहा है। वस्तुतः समाज का स्वरूप जिस प्रकार बड़े समाज के रूप में रूपान्तरित हुआ है। तदनुरूप प्रशासन भी बड़ी सरकार के साधन के रूप में बड़ा प्रशासन हो गया है। वस्तुतः राज्य समाज तक प्रशासन के माध्यम से पहुँचता है और समाज को प्रशासन की सेवा प्रदान करता दिखायी देता है। अतएव डिमाँक वाल्डो जैसे विद्वानों ने आज के राज्य को प्रशासकीय राज्य की संज्ञा दी है।

3. सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन का साधन - तृतीय विश्व के अनेक राष्ट्रों में सामाजिक आर्थिक समताओं की खाई अत्यन्त गहरी है। भारत जैसे विकासशील देशों में आर्थिक शक्तियों के केन्द्रीकरण और जनसंख्या विस्फोट ने भुखमरी, बेकारी, गरीबी जैसी समस्याओं को गम्भीर बना रखा है, वहीं सामाजिक रूप से ऊँच-नीच, छूआछूत जैसी भावनाओं ने भी समाज को जकड़ रखा है। राज्य द्वारा इनको मिटाने के संवैधानिक संकल्पों नीति प्रदर्श को साकर करने का दायित्व लोक प्रशासन के कंधों पर है। पं. नेहरू के अनुसार, “प्रशासन सभ्यता का रक्षक मात्र ही नहीं अपितु सामाजिक, आर्थिक परिवर्तन का महान साधन है।"

4. सभ्यता का रक्षक - डोनहम ने बहुत पहले कहा था, कि यदि हमारी सभ्यता नष्ट होती है। तो यह प्रशासन की असफलता का परिणाम होगा। वस्तुतः आधुनिक खोजों ने जहाँ जनता को अनेक सुविधाएँ मुहैया करवायी हैं। वहाँ अराजक, असंतोषी समाज विरोधियों के हाथों में तोड़-फोड़ के साधन भी दे दिए हैं। इनसे समाज की सुरक्षा का दायित्व प्रशासकों पर है। इसी प्रकार आधुनिक युग की प्रवृत्तियों ने जनता की आकांक्षाएँ बेतहाशा बड़ा दी हैं। वह सरकार से नीति की नई अपेक्षा करने लगी हैं। औद्योगिकीकरण आदि ने जहाँ पर्यावरण के लिए खतरा पैदा किया है। वहीं उसकी तकनीकों का एक परिणाम बेकारी और गरीबी के टापुओं के रूप में प्रकट हुआ है। इससे समाज में असंतोष पनप रहा है। प्रशासन को न सिर्फ भौतिक लाभों को हर तबके तक पहुँचाना है अपितु उनकी निरन्तर आपूर्ति भी सुनिश्चित करना है। अन्यथा असन्तोष का ज्वालामुखी समाज सभ्यता सबको इतिहास की वस्तु बना देगा। एल. डी. व्हाइट के अनुसार, “प्रशासन आधुनिक जीवन की आशा, अच्छी जिन्दगी का साधन है।

5. प्रशासन एक नैतिक कार्य - आधुनिक दुष्प्रवृत्तियाँ सभ्यता को रौद रही हैं। समाज में व्याभिचार आदि को बढावा दे रही हैं और समाज नैतिक पतन की ओर अग्रसर है। ऐसे समय प्रशासन को ही राज्य निर्देशानुसार समाज में शुचिता, नैतिकता, सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाना है। अनैतिकता को नियन्त्रित करना है और सभ्यता को सुरक्षित रखना है। टीड ने प्रशासन को नैतिक कार्य और प्रशासक को नैतिक अभिकर्ता इसीलिए कहा है।

6. प्रशासन एक अनिवार्यता - जनता के लिए नीति का निर्माण राजनीतिज्ञ करते हैं, लेकिन इन्हें अमल में लाने वाला प्रशासन जब तक सक्रीय नहीं होता, उन नीतियों का कोई मूल्य नहीं है। हरमन फाइनर के अनुसार, किसी देश का संविधान कितना ही श्रेष्ठ हो, मंत्रीगण कितने ही योग्य हों, बिना दक्ष प्रशासकों के शासन सफल नहीं हो सकता।

7. नीति को व्यवहारिक रूप देना - व्यवस्थापिका नीति का मोटा मसौदा देती है लेकिन उसे व्यवहारिक रूप प्रशासन ही देता है। जो जनता के सम्पर्क में रहता है और सामाजिक आवश्यकता आदि से भली-भाँति परिचित होता है।

8. सामाजिक स्थिरता में योगदान - परिवर्तनशील सामाजिक जीवन में पुराने और नये मूल्यों के मध्य उचित समन्वय स्थापित कर लोक प्रशासन सामाजिक स्थिरता सुनिश्चित करता है। वह सामाजिक प्रगति के स्वस्थ्य तत्वों को प्रोत्साहित कर आर्थिक-सामाजिक उन्नति की बाधाओं को दूर कर भी सामाजिक स्थायित्व को आधार प्रदान करता है। जोशिया स्टाम्प के अनुसार, "लोक प्रशासन समाज को प्रेरणा देने वाला स्रोत है।'

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- 'लोक प्रशासन' के अर्थ और परिभाषाओं की विवेचना कीजिए।
  2. प्रश्न- लोक प्रशासन की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
  3. प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- लोकतांत्रिक प्रशासन की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  5. प्रश्न- प्रशासन' शब्द का प्रयोग सामान्य रूप से किन प्रमुख अर्थों में किया जाता है?
  6. प्रश्न- "लोक प्रशासन एक नीति विज्ञान है" यह किन आधारों पर कहा जा सकता है?
  7. प्रश्न- लोक प्रशासन का महत्व बताइए।
  8. प्रश्न- प्रशासन के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
  9. प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र का 'पोस्डकोर्ब दृष्टिकोण' की व्यख्या कीजिये।
  10. प्रश्न- लोक प्रशासन को विज्ञान न मानने के क्या कारण हैं?
  11. प्रश्न- एक अच्छे प्रशासन के गुण बताइए।
  12. प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की चुनौतियाँ बताइये।
  13. प्रश्न- 'लोक प्रशासन में सैद्धान्तीकरण की बढ़ती प्रवृत्ति', टिप्पणी कीजिए।
  14. प्रश्न- कार्मिक प्रशासन के मूल तत्व क्या हैं?
  15. प्रश्न- राजनीतिज्ञ एवं प्रशासक के मध्य अन्तर लिखिए।
  16. प्रश्न- शासन एवम् प्रशासन में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  17. प्रश्न- अनुशासन से क्या तात्पर्य है? लोक प्रशासन में अनुशासन के महत्व को दर्शाइए।
  18. प्रश्न- भारत में लोक सेवकों के आचरण को अनुशासित बनाने के लिए किए गए प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- लोक सेवकों को अनुशासन में बनाए रखने के लिए उन पर लगाए गए प्रतिबन्धों का वर्णन कीजिए।
  20. प्रश्न- किसी संगठन में अनुशासन के योगदान पर टिप्पणी लिखिए।
  21. प्रश्न- प्रशासन में अनुशासनहीनता को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारण कौन-कौन से हैं?
  22. प्रश्न- "अनुशासन में गिरावट लोक प्रशासन के लिए चुनौती" इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  23. प्रश्न- लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? निजी प्रशासन लोक प्रशासन से किस प्रकार भिन्न है?
  24. प्रश्न- "लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन में अनेकों असमानताएँ होने के बावजूद कुछ ऐसे बिन्दू भी हैं जो उनके बीच समानताएँ प्रदर्शित करते हैं।' कथन का परीक्षण कीजिए।
  25. प्रश्न- निजी प्रशासन में लोक प्रशासन की अपेक्षा भ्रष्टाचार की सम्भावनाएँ कम है, कैसे?
  26. प्रश्न- निजी प्रशासन के नकारात्मक पक्षों पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  27. प्रश्न- लोक प्रशासन की तुलना में निजी प्रशासन में राजनीतिकरण की सम्भावनाएँ न्यूनतम हैं, कैसे?-
  28. प्रश्न- निजी प्रशासन के दो प्रमुख लाभ बताइए।
  29. प्रश्न- लोक प्रशासन के महत्व पर विवेचना कीजिए।
  30. प्रश्न- आधुनिक राज्यों में लोक प्रशासन के विभिन्न रूपों को स्पष्ट कीजिए।
  31. प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  32. प्रश्न- संगठन का अर्थ स्पष्ट करते हुए, इसके आधारों को स्पष्ट कीजिए।
  33. प्रश्न- संगठन के आधारों को स्पष्ट कीजिए।
  34. प्रश्न- संगठन के प्रकारों को स्पष्ट कीजिए। औपचारिक संगठन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  35. प्रश्न- औपचारिक संगठन की विशेषताएँ बताइये।
  36. प्रश्न- अनौपचारिक संगठन से आप क्या समझते हैं? इनकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  37. प्रश्न- औपचारिक तथा अनौपचारिक संगठन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  38. प्रश्न- संगठन की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
  39. प्रश्न- संगठन के यान्त्रिक अथवा शास्त्रीय दृष्टिकोण (उपागम) को स्पष्ट कीजिए।
  40. प्रश्न- पदसोपान प्रणाली के गुण व दोष बताते हुए इसका मूल्यांकन कीजिए।
  41. प्रश्न- संगठन के आदेश की एकता सिद्धान्त की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  42. प्रश्न- आदेश की एकता सिद्धान्त के गुण बताते हुए इसकी समालोचनाओं पर भी प्रकाश डालिए।
  43. प्रश्न- 'प्रत्यायोजन' से आप क्या समझते हैं? प्रत्यायोजन को परिभाषित करते हुए इसकी आवश्यकता एवं महत्व को बताइए।
  44. प्रश्न- प्रत्यायोजन के विभिन्न सिद्धान्तों एवं प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
  45. प्रश्न- संगठन के सिद्धान्तों के विशेष सन्दर्भ में प्रशासन को लूथर गुलिक एवं लिंडल उर्विक के योगदान की विवेचना कीजिए।
  46. प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र में एल्टन मेयो द्वारा प्रस्तुत मानव सम्बन्ध उपागम पर प्रकाश डालिए।
  47. प्रश्न- हरबर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सम्बन्धी मॉडल की व्याख्या कीजिए।
  48. प्रश्न- हर्बर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सिद्धान्त का लोक प्रशासन में महत्व पर प्रकाश डालिए।
  49. प्रश्न- नौकरशाही का अर्थ बताइये और परिभाषाएँ दीजिए।
  50. प्रश्न- नौकरशाही की विशेषताएँ अथवा लक्षणों को बताइये।
  51. प्रश्न- निर्णयन का क्या अर्थ है? प्रशासन में निर्णयन प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- हेनरी फेयाफल द्वारा उल्लिखित किये गये संगठन के सिद्धान्तों को बताइए।
  53. प्रश्न- 'गेंगप्लांक' पर टिप्पणी कीजिये।
  54. प्रश्न- हरबर्ट साइमन द्वारा 'प्रशासन की कहावत' किन्हें कहा गया है और क्यों?
  55. प्रश्न- ऐल्टन मेयो को मानव सम्बन्ध उपागम के प्रवर्तकों में शामिल किया जाता है, क्यों?
  56. प्रश्न- निर्णयन के अवसरों का वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- निर्णयन के लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
  58. प्रश्न- प्रतिबद्ध नौकरशाही की विवेचना कीजिए।
  59. प्रश्न- सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण का आशय स्पष्ट कीजिए। सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण में अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
  60. प्रश्न- सूत्र या पंक्ति अभिकरण से क्या आशय है एवं सूत्र (लाइन) या पंक्ति अभिकरणों की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- प्रशासन में स्टाफ अभिकरण के महत्व पर प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- स्टाफ अभिकरणों के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  63. प्रश्न- स्टाफ अभिकरण के विभिन्न रूपों पर प्रकाश डालिए।
  64. प्रश्न- सहायक अभिकरण का अर्थ स्पष्ट कीजिए एवं स्टाफ अभिकरण से इनकी भिन्नता पर प्रकाश डालिए।
  65. प्रश्न- मुख्य प्रशासक की प्रशासन में क्या स्थिति है? स्पष्ट कीजिए।
  66. प्रश्न- बजट से आप क्या समझते हैं? इसे परिभाषित कीजिए। भारत में बजट कैसे तैयार किया जाता है?
  67. प्रश्न- बजट किसे कहते है? एक स्वस्थ बजट के महत्वपूर्ण सिद्धान्त बताइए।
  68. प्रश्न- भारत में केन्द्रीय बजट का निर्माण किस प्रकार होता है?
  69. प्रश्न- वित्त विधेयक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  70. प्रश्न- वित्त विधेयक के सम्बन्ध में राष्ट्रपति के विशेषाधिकार को स्पष्ट कीजिए।
  71. प्रश्न- बजट का महत्व बताइए।
  72. प्रश्न- भारत में बजट के क्रियान्वयन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  73. प्रश्न- बजट के कार्य बताइये।
  74. प्रश्न- बजट के प्रकार लिखिए।
  75. प्रश्न- वित्त आयोग के कार्य बताइए।
  76. प्रश्न- योजना आयोग का प्रशासनिक ढाँचा क्या है?
  77. प्रश्न- शून्य आधारित बजट का वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? नवीन लोक प्रशासन के उदय के कारण बताते हुए इसकी दार्शनिक पृष्ठभूमि का वर्णन कीजिए तथा नवीन लोक प्रशासन एवं दार्शनिक पृष्ठभूमि में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  79. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के लक्ष्य को स्पष्ट करते हुए इसके लक्षणों का परीक्षण कीजिए।
  81. प्रश्न- नवीन लोक प्रबन्ध के अभ्युदय कैसे हुआ? नवीन लोक प्रबन्ध की मुख्य विशेषताएँ बताते हुए इसके अंतर्गत सरकार की भूमिका में आए बदलावों पर प्रकाश डालिए।
  82. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन की भावी सम्भावनाओं को व्यक्त कीजिए।
  83. प्रश्न- नव लोक प्रशासन का उदय किन परिस्थितियों में हुआ?
  84. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के प्रमुख तत्व कौन से हैं?
  85. प्रश्न- 'नवीन लोक प्रबन्ध' दृष्टिकोण के हानिकारक पक्षों पर प्रकाश डालिए।
  86. प्रश्न- नव लोक प्रबन्ध की पारिस्थितिकीय दृष्टिकोण के समर्थक क्या आलोचना करते हैं?
  87. प्रश्न- नव लोक प्रबन्ध की हरबर्ट साइमन द्वारा प्रस्तुत आलोचना पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- प्रशासकीय कानून का क्या अर्थ है? प्रशासकीय कानून के विकास के प्रमुख कारण बतलाइए।
  89. प्रश्न- प्रशासकीय अधिनिर्णय का क्या अर्थ है? इसके विकास के प्रमुख कारणों का विवेचन कीजिए।
  90. प्रश्न- भारत में जन शिकायतों के निस्तारण हेतु ओम्बड्समैन की स्थापना हेतु किए गए प्रयासों की विवेचना कीजिए।
  91. प्रश्न- प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण से क्या तात्पर्य है? कोई न्यायालय प्रशासन के कार्यों को किस प्रकार अवैध घोषित कर सकता है?
  92. प्रश्न- भारत में प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण के विभिन्न साधनों का परीक्षण कीजिए।
  93. प्रश्न- भारत में प्रशासकीय न्यायाधिकरणों को कितने वर्गों में विभाजित किया गया है?
  94. प्रश्न- प्रशासकीय न्यायाधिकरणों से क्या लाभ हैं?
  95. प्रश्न- प्रशासकीय न्यायाधिकरणों की हानियाँ बताइए।
  96. प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के आधुनिक उपागमों को बताइये तथा व्यवहारवादी उपागमन को सविस्तार समझाइये।
  97. प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के व्यवस्था उपागम का वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- लोक प्रशासन के संरचनात्मक कार्यात्मक उपागम की व्याख्या कीजिए।
  99. प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के पारिस्थितिकी उपागम का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- सुशासन से आप का क्या आशय है? सुशासन की विशेषताएँ लिखिए।
  101. प्रश्न- भारतीय क्षेत्र में सुशासन स्थापित करने की प्रमुख चुनौतियाँ कौन-कौन सी हैं? स्पष्ट कीजिए।
  102. प्रश्न- भारत में सुशासन की स्थापना हेतु किये गये प्रयासों पर प्रकाश डालिए।
  103. प्रश्न- विकास प्रशासन से क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
  104. प्रश्न- विकास प्रशासन से आप क्या समझते हैं? विकास प्रशासन के विभिन्न सन्दर्भों का उल्लेख करें।
  105. प्रश्न- विकास प्रशासन की धारणा के उद्भव व विकास को समझाते हुए विकास की विभिन्न रणनीतियों की विवेचना कीजिए।
  106. प्रश्न- विकास प्रशासन के विभिन्न तत्वों की विवेचना कीजिए।
  107. प्रश्न- विकास प्रशासन की प्रकृति एवं साधन बताइए।
  108. प्रश्न- विकास प्रशासन के सामान्य अभिप्राय के सम्बन्ध में प्रमुख विवादों (भ्रमों) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  109. प्रश्न- विकासात्मक नीतियों को लागू करने में विकास प्रशासन कहाँ तक उपयोगी है?
  110. प्रश्न- विकास प्रशासन की प्रमुख समस्याएँ बताइए।
  111. प्रश्न- विकास प्रशासन के 'स्थानिक आयाम' को समझाइए।
  112. प्रश्न- विकास प्रशासन की धारणा के विकास के दूसरे चरण में विकास सम्बन्धी कि मान्यताओं का उदय हुआ?
  113. प्रश्न- विकास प्रशासन के समय अभिमुखी आयाम पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  114. प्रश्न- विकास प्रशासन और प्रशासनिक विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  115. प्रश्न- राजनीतिक और स्थायी कार्यपालिका से आप क्या समझते हैं और उनके मध्य अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  116. प्रश्न- भारतीय प्रशासन के विकास का विश्लेषणात्मक वर्णन कीजिए।
  117. प्रश्न- राजनीति क्या है? मानव सामाजिकता में राजनीतिक भूमिका लिखिए।
  118. प्रश्न- वर्तमान भारतीय प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।

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